सर्वाइकल या गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बारे हर जानकारी यहां मिलेगी

सर्वाइकल या गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बारे हर जानकारी यहां मिलेगी

सेहतराग टीम

 

क्‍या है सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर केवल महिलाओं में होने वाला कैंसर है जो गर्भाशय और योनि को जोड़ने वाले हिस्‍से में होता है। इस हिस्‍से को गर्भाशय की गर्दन यानी ग्रीवा (सर्विक्‍स) भी कहते हैं इसलिए इस कैंसर का नाम सर्वाइकल या गर्भाशय ग्रीवा कैंसर है। गर्भाशय ग्रीवा के इस कैंसर के ज्‍यादातर मामलों में ये पाया गया है कि महिलाओं के गर्भाशय की कोशिकाएं ह्यूमन पेपीलोमा वायरस यानी एचपीवी के खतरनाक माने जाने वाले संक्रमण से ग्रसित होती हैं। इस आधार पर वैज्ञानिकों ने ये निष्‍कर्ष निकाला है कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का बड़ा कारण एचपीवी संक्रमण हो सकता है।

दरअसल महिलाओं का शरीर जब एचपीवी के संपर्क में आता है तो अधिकांश महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्‍यून सिस्‍टम) इस वायरस को किसी तरह का नुकसान पहुंचाने से रोक देती है। इसके बावजूद कुछ महिलाएं जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें ये वायरस लंबे समय तक टिक जाता है और धीरे-धीरे गर्भाशय ग्रीवा की कुछ कोशिकाओं को कैंसर वाली कोशिकाओं में बदल देता है।

सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत तब होती है जब सर्विक्‍स की कुछ सेहतमंद कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव होने लगता है। दरअसल शरीर की कोशिकाएं एक निर्धारित प्रक्रिया पर चलती हैं। सेहतमंद कोशिकाएं बढ़ती हैं और एक निश्चित गति से अपनी संख्‍या बढ़ाती हैं। अपनी उम्र पूरी कर पुरानी कोशिकाएं स्‍वत: मर जाती हैं। जब उनके डीएनए में बदलाव होता है तो नया डीएनए उन्‍हें अनि‍यंत्रित गति से बढ़ने का निर्देश देता है और तब ये कोशिकाएं खुद मरती भी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में तेजी से बढ़ती ये कोशिकाएं एक गांठ के रूप में जमा होने लगती हैं। धीरे-धीरे ये गांठ आस पास के दूसरे हिस्‍सों की कोशिकाओं को भी प्रभावित करने लगती हैं और कैंसर पूरे बदन में फैल जाता है।

वैज्ञानिकों ने भले ही ये पाया है कि सर्वाइकल कैंसर के मामले में एचपीवी की भूमिका हो सकती है मगर वो इसे गारंटी के साथ नहीं कह सकते। दरअसल एचपीवी एक बेहद आम वायरस है जो करोड़ों लोगों में पाया जाता है मगर इनमें से अधिकांश को ये कैंसर नहीं होता। इसलिए डॉक्‍टर ये मानते हैं कि एचपीवी के साथ साथ अन्‍य कारक भी जैसे कि स्‍थानीय जलवायु, मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता, सामाजिक स्थिति आदि मिलकर शायद इस रोग के बढ़ने का कारण हो सकते हैं।

 

सर्वाइकल कैंसर के प्रकार

इस कैंसर के मुख्‍यत: दो प्रकार होते हैं-

स्‍क्‍वैमस सेल कार्सिनोमा: इस तरह का सर्वाइकल कैंसर सर्विक्‍स के बाहरी हिस्‍से की मोटी और सपाट कोशिकाओं से आरंभ होता है। ये हिस्‍सा योनि से जुड़ा होता है। सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलें इसी प्रकार के कैंसर के होते हैं।

एडिनोकार्सिनोमा: कैंसर का ये प्रकार सर्वाइकल सुरंग की लाइनिंग में मौजूद कॉलम के आकार के ग्‍लैंड्यूल कोशिकाओं में पनपता है। ये ज्‍यादा आम कैंसर नहीं है। मगर खासबात ये है कि कई मामलों में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के ये दोनों प्रकार एक साथ देखे गए हैं।

इन दोनों प्रकारों के अलावा बहुत दुर्लभ मामलों में सर्वाइकल कैंसर सर्विक्‍स की दूसरी कोशिकाओं में पनप सकता है।

लक्षण

सर्वाइकल कैंसर का पता उसके उन्‍नत स्‍टेज में पहुंचने तक नहीं चल सकता है बशर्ते नियमित रूप से जांच न कराई जाए। प्रारंभिक चरणों में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर आमतौर पर किसी भी तरह का संकेत या लक्षण नहीं पैदा करता है। जब कोशिकाएं गर्भाशय की आसपास की कोशिकाओं को प्रभावित करना शुरू करती हैं तो लक्षण और लक्षण विकसित होने लगते हैं। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षणों में असामान्य दर्द, असामान्य डिस्‍चार्ज, पेशाब के दौरान दर्द आदि शामिल हैं। कैंसर के विकसित हो जाने की स्थिति में संभोग के बाद योनि से रक्तस्राव हो सकता है। पीरियड्स के दौरान या रजोनिवृत्ति के बाद, योन‍ि से पानी या खून का भारी डिस्चार्ज हो सकता है। इसके अलावा संभोग के दौरान गंध और पेल्विक या श्रोणि‍ में गंभीर अथवा सामान्‍य दर्द जो सकता है।

 

जोखिम घटक

एक से अधिक सेक्‍स पार्टनर

कच्‍ची उम्र में सेक्‍स की शुरुआत

दूसरी तरह के यौन संक्रमण

कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता

धूम्रपान

मां द्वारा गर्भपात रोकने की दवा का इस्‍तेमाल किया जाना: यदि किसी महिला ने दशकों पहले अपना गर्भपात रोकने के लिए दवाएं ली हों तो उस बच्‍ची में ये कैंसर होने का जोखिम हो सकता है।

 

रोकथाम

अपने डॉक्‍टर से एचपीवी टीके के बारे में पूछिये: बाजार में एचपीवी से बचाव के टीके मौजूद हैं और सर्वाइकल कैंसर में एचपीवी की भूमिका को देखते हुए उसका टीका लगवाना चाहिए।

नियमित रूप से पैप स्‍मीयर करवाएं: इस टेस्‍ट के जरिये सर्विक्‍स के कैंसर पूर्व की स्थिति का पता लगाया जा सकता है इसलिए इसके जरिये सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। अधिकांश स्‍वास्‍थ्‍य संगठन महिलाओं में 21 वर्ष की उम्र से पैप स्‍मीयर करवाने की सलाह देते हैं और हर कुछ वर्ष पर उसे दोहराने की सलाह भी दी जाती है।

सुरक्षित सेक्‍स करें: किसी भी तरह के एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षित सेक्‍स करें।

धूम्रपान छोड़ दें।

 

उपचार

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है। इन कारकों में कैंसर का चरण तथा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं आदि शामिल हैं। उपचार विधियों में शल्य चिकित्सा, रेडिएशन, कीमोथेरेपी या तीन का संयोजन शामिल है।

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